डिप्रेशन को नजरअंदाज ना करें, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

डिप्रेशन को नजरअंदाज ना करें, जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके

सेहतराग टीम

आज की दौड़ती भागती जिंदगी में कई ऐसी समस्याएं आती हैं जो हमें मुश्किलों में डाल देती हैं। उन्हीं में एक डिप्रेशन। ये एक ऐसी समस्या है जिससे आज के समय में बहुत सारे लोग जूझ रहे हैं। उसके बावजूद भी कई लोग इसे सीरियस नहीं लेते हैं हल्के में लेते हुए जिंदगी में आगे बढ़ जाते हैं। वहीं कई लोग इस बीमारी को किसी को बताने से भी डरते हैं। वहीं आपको बता दे कि डिप्रेशन कई बार थोड़े समय के लिए ही रहता है, लेकिन कई बार यह भयानक रूप ले लेता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब हम जीवन के हर पहलू पर नकारात्मक रूप से सोचने लगते हैं और जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को अपना जीवन बेकार लगने लगता है। जब दिमाग को पूरा आराम नहीं मिलता और उस पर हमेशा एक दबाव बना रहता है तो समझिए कि तनाव ने आपको अपनी चपेट में ले लिया है।

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डिप्रेशन से उम्र का नहीं कोई रिश्ता

जी हां, अगर आपको लगता है कि डिप्रेशन कम उम्र में नहीं हो सकता तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं। पढ़ाई, करियर, रिलेशनशिप जैसी कई चीज़ें इस उम्र में तनाव की वजह बन सकती हैं। कम उम्र में ज्यादा तनाव लेने वालों में आगे चलकर यह और भी ज्यादा सीरियस हो जाता है।

तनाव के कारण शरीर में कई हार्मोन का स्तर बढ़ता जाता है, जिनमें एड्रीनलीन और कार्टिसोल प्रमुख हैं। लगातार तनाव की स्थिति अवसाद में बदल जाती है। अवसाद एक गंभीर स्थिति है। हालांकि यह कोई रोग नहीं है, बल्कि इस बात का संकेत है कि आपका शरीर और जीवन असंतुलित हो गया है। अवसाद को मानसिक बीमारी माना जाता है मगर इसके लक्षण आपको बाहर से भी दिखाई देते हैं। आइए आपको बताते हैं अवसाद के लक्षणों के बारे में।

नकारात्मकता

अवसाद एक तरह से व्यक्ति के दिमाग को प्रभावित करता है। इसके कारण व्यक्ति हर समय नकारात्मक सोचता रहता है। जब यह स्थिति चरम पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति को अपना जीवन निरूद्देश्य लगने लगता है। इसके अलावा हमेशा हीन भावना से ग्रस्त होना अवसाद का मुख्य लक्षण हो सकता है।

किसी काम में मन न लगना

अवसाद का सबसे प्रमुख लक्षण यही है कि व्यक्ति हर समय परेशान रहता है और उसका किसी काम में मन नहीं लगता है। सामान्य उदासी इसमें नहीं आती लेकिन किसी भी काम या चीज में मन न लगना, कोई रुचि न होना, किसी बात से कोई खुशी न होनी, यहां तक गम का भी अहसास न होना अवसाद के लक्षण हैं।

कैसे करें बचाव

किसी भी चीज़ की उतनी ही टेंशन लें जिससे आपके रातों की नींद, दिन का सुकून न छीन जाए, फिर चाहे वह काम हो, रिलेशनशिप या फिर करियर। अगर आपका ऊपर दिए गए कोई भी लक्षण खुद में नजर आएं  तो बेझिझक होकर अपने फैमिली, फ्रेंडस से बात करें। जरूरत हो तो डॉक्टर की भी मदद लें। ध्यान रहें डिप्रेशन लाइलाज नहीं है बस वक्त रहते इसे पहचानकर संभलना जरूरी है। 

 

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